स्वतंत्र मन

स्वतंत्र मन
जिन्दगी है एक मिली उसे टुकड़ो में क्यों गुजारिये,
कभी धूप में भी जी लीजिये जो छाँव मिले तो भी स्वीकारिये,
सुख आया तो बाँट लिया दुख भी किसी तरह काट लिया,
कभी हिम्मत न हारिये,
जिन्दगी है एक मिली उसे टुकड़ो में क्यों गुजारिये, 
हसरतें तो कम न होंगी बल्कि बढ़ती जाएगी, 
जो मिला है उसे तो संभालिये,
जिन्दगी है एक मिली उसे टुकड़ो में क्यों गुजारिये, 
किसी को माफ कर दिया, किसी से माफी मांग ली,
बदले की आग को यहीं बुझा जाइये,
जिन्दगी है एक मिली उसे टुकड़ो में क्यों गुजारिये, 
जो आया सो तो जाएगा, स्थिर कुछ न रह पाएगा,
तो इस बंधन को तोड़िये और राहों को आगे मोड़िये,
जिन्दगी है एक मिली उसे टुकड़ो में क्यों गुजारिये, 
जो पीछे छूट गया वो तेरा हिस्सा था ही नही,
जो अब आएगा वो भी किस्सा बन जाएगा,
जो आगे है खड़ा उसको अपनाइए,
जिंदगी है एक मिली उसे टुकड़ों में क्यो गुज़ारिए। 
सब झमेले है यहां, सब के मायने अलग यहां,
तो किसी से दिल ज्यादा न लगाइए,
जिंदगी है एक मिली उसे टुकड़ों में क्यो गुज़ारिए,
कभी धूप में भी जी लिए जो छाँव मिली तो भी स्वीकारिए।

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