तुम्हारी याद बहुत सताती है, इस lockdown में तुम्हारी बेपनह याद आती हैं, दिल के जज़बात कुछ इस कदर उलझे है, मेरे अंदर कई आग की तरह झुलसे है, वो हमारा एक साथ समय बिताना, घंटों एक ही बात पर बहस करते जाना, मेरा तुम्हारे लिए गीत गुनगुनाना और तुम्हारा मेरे लिए मोहब्बत भरे नग्मे सुनाना, कभी मेरा गुस्सा होना और तुम्हारा मनाना, रातों को नींद आते हुए भी पलक न झपकाना, दूसरा बिगड न जाए इस का पूरा ध्यान रखना, पर इस lockdown ने ये सब हमसे छीन लिया, जाने किस बात का बदला हमसे ले लिया, अब न तुम दिखते हो न तुम्हारी प्यारी मुस्कुराहट, जाने कहाँ गई वो प्यार भरी नज़ाकत, न दिल को चैन आता है, न ही सूकून मिलता है, हर वक़्त तुम्हारे ख्याल में डूबा मालूम होता है, यादें सारी मैंने संजोये रखी है, हम जल्दी मिलें बस सब उसी के लिए रखी है, ये तमन्ना है मेरी, गुज़ारिश है उस खुदा से, कि जल्द से जल्द ये lockdown और बीमारी को छूमंतर कर अपनी दवा से।
एक नज़र जिनकी दे जाती थीं सुकून,
बेरुख़ी उनकी बनी लिखने का जूनून।