नहीं पता था उस लडकी को एक रात में उसकी साँसे थम जाएँगी,
नियति बनके ही आयी थी उसके लिए काली रात,
क्या अंदाज़ा था उसको जब वह खुश थी अपने जिंदगी के हर पल के लिए,
क्षण भर में भी उसके दिमाग की छठी इंद्री नहीं खुल पाई थी,
और हो गई वह उन काले नागों की शिकार जो उसे डसने के लिए पहले ही रणनीति बना चुके थे,
क्या यही है लडकियों की ज़िंदगी जिसमें उनका दम घुटता है,
सरकारो और समाज ने क्या अपनी सारी इंद्रियों को switch off करके रख दिया है क्या?
क्या एक लडकी को कोई हक नहीं अपने लिए नए सपने बुनने का,
क्या वह पैदा ही दुनिया मे इसलिए हुई कि काले नागों या दरिंदो द्वारा डसी जा सके,
क्या ये प्रश्न नहीं उठते हर लडकी के ज़हन में।
आखिरकार क्यो सरकार और समाज अपनी आँखे नहीं खोलते, क्या वह शवासन में लेटे हुए है?
एक नज़र जिनकी दे जाती थीं सुकून,
बेरुख़ी उनकी बनी लिखने का जूनून।